टूटने की दहलीज़ पर,
हम सब कैसे खड़े थे, अलग अलग पायदान पर।
मगर देखो ना आज तुमने क्या किया,
हमारे पिछले कुछ सालों की बिखरने और समेटने की निरन्तर प्रक्रिया का सारा समीकरण बिगाड़ दिया।
मुझे याद नहीं वो एहसास
जब तुमने मुझे पहली बार थामा होगा,
हाँ तुम्हें ज़रूर याद होगा!
लेकिन ना जाने क्यों हमने कभी इस बारे में
कोई बात नहीं करी।
पर मुझे सदा याद रह जाएगा,
तुम्हें आख़िरी बार थामने का ये निष्ठुर एहसास।
तुम्हें पता भी है,
की आज तुम्हारे जाने से,
सिर्फ़ एक तुम ही नहीं जा रहे थे,
पर संग जा रही थी मेरी आत्मा भी
जिसे तुम्हीं ने तो सींचा था अपने आपार स्नेह से
और अब यहाँ देखो ना
तुम्हारे जाते ही सब कह रहे हैं कि
मैं तुम्हें बांधू नहीं अपने इन आसुओं में।
पर तब भी मैं थामें रखूँगी तुमसे हर एक बंधन
क्योंकि आने वाले हर जन्म में तुम्हें बनना होगा
मेरे पिता
और मुझे “तुम्हारी छुटकी"
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