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अनुपस्थिति में तुम्हारे


मैंने तुम्हें दिखाया है ना, पहाड़ का वो वाला हिस्सा जहां कभी धूप नहीं आती

और अगर आती भी है तो दिन के किसी एक आद पहर, ज़रा सी ही दिखती है।

वो भी देवदार की डालों से थोड़ी छनके और थोड़ी वहीं ऊपर की पत्तियों में ही अटक कर रह जाती है।

यही वो समय होता है जब ओस से भीगे मकड़ी के जाले, कुछ चमकने लगते हैं।

और इक्का दुक्का ही जंगली फूल किनारों पर खिल पाते हैं।

पहाड़ का वो वाला हिस्सा जहां कभी धूप नहीं आती

रहता तो सब यहाँ भी हरा है

पर फिर भी हर मौसम अंधेरा दिखता है

यहाँ तो झरनों पर इंद्रधनुष भी नहीं बन पाता

पानी की टपकन, हवाओं का सनसन

भी जाने क्यों मौन लगती हैं।

हाँ माना, कहने को तो ये वही पहाड़ हैं,

जिनसे प्रेम के किससे मैं तुम्हें बताये नहीं थकती

पर अनुपस्थिति में तुम्हारे

मुझे पहाड़ का ये वाला हिस्सा सा लगता है

जहां कभी धूप नहीं आती

जहां कभी तितलियाँ नहीं मडराती

जहां ना फिर घर लगता है ।

अनुपस्थिति में तुम्हारे

मुझे पहाड़ का ये वाला हिस्सा सा लगता है















2 comments

2 Comments


shraddha mishra
shraddha mishra
Aug 26, 2023

Behad Khoobsurat ♥️

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Pahadan
Pahadan
Aug 26, 2023
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:)

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