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तुम आज़ाद हो?

Updated: Nov 1, 2019

शाम सात पर जो अँधेरा हो जाए,

तब तक घर लौटना पड़ता है उसे,

मगर वो आज़ाद है|


कुर्ते की बाजू जो काँधे से सरक जाये,

इशारों में ही सही करना होता है उसे,

मगर वो आज़ाद है|


बड़ी उस हवेली में,अलग जाती होने पर,

किराये का एक कमरा ना मिले उसे,

मगर वो आज़ाद है|


चौके में सजे  जाने कितने बरतन है,

लेकिन कहार की कटोरी चम्मच अलग है,

मगर वो आज़ाद हैं|


घर से कूड़ा इकठ्ठा करने वालाजो गेट छू जाए,

तो सर्फ़ से कुंडा धुलता है,

मगर वो आज़ाद है|


कहने की बातो में

कागज़ी दस्तावेजों में,

वो आज़ाद है|


वो आज़ाद है, तुम आज़ाद हो|

पर, क्या वो आज़ाद है?

क्या तुम आज़ाद हो?


parvindekar/artworks


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