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चौखट के भीतर


आने दो,

कोहरे को

चौखट के भीतर

तुम आने दो


मेज की दराजों में

रखी किताबों में

छिपे फूलों से

कुछ बूंदों को

तुम मिल जाने दो


बंद लिफ़ाफ़ों में

पड़ी चिट्ठियों के

अधूरे संवादों को

थोड़ा तुम

सील जाने दो


बरखा की

ठंडक को

कोहरे की

खुशबू को

मेरे आँगन फिर

तुम बिछ जाने दो


आने दो,

कोहरे को

चौखट के भीतर

तुम आने दो

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